गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017

I Hate You फरवरी!



सुनो फरवरी,

मैं तुम्हें पिछले छह साल से बिल्कुल पसंद नहीं करती। महीने के अंत से दो दिन पहले ही तुम मार्च को बुलाकर दफा हो जाती हो। अरे तुम कितना दुख दे जाती हो अपन को कुछ अंदाजा है तुम्हें। वैसे तो तुम बाकी महीनों से एक-दो दिन ही कम होती हो लेकिन इस महीने कमरे का किराया भरना बड़ा खलता है यार। किराया तो हमें 31 दिन का ही देना पड़ता है न। किसी भारी घाटे सा दुख महसूस होता है यार। तुम अन्य महीनों की तरह क्यों नहीं होती 30 या 31 दिन की?

वैसे तो अपन कभी इस तरह से हिसाब नहीं लगाते कि एक महीने का किराया इतना हुआ तो एक दिन का कितना होगा। लेकिन फरवरी तुम्हारी वजह से हम यह भी हिसाब लगाने लगे। तुम्हें पता ही होगा कि हमारे फाइनेंस मिनिस्टर एक महीने में पैसे भेजकर दो महीने तक मुंह उठाकर पैसे मांगने के लिए मना करते हैं। इसी में हमें गुजारा करना होता है यार। चाट-फुल्टी जैसी चीजों से भी हमारी जीभ ने वैराग्य ले लिया है। अगर हम फिजूल का खर्च कर दें तो टेंशन में आ जाते हैं। अगर कम खर्च करके बचा भी लेते हैं तो वो महीने के अंतिम दिन ना जाने कौन से कारण से खर्च हो ही जाता है यार। फरवरी I Hope कि तुम इस दो दिन का मतलब समझोगी। 

तुम नहीं जानती तो जान तो कि हम विद्यार्थी लोग पैसा वसूल चीजों के इस्तेमाल में विश्वास रखते हैं। सबसे सस्ती सब्जी खाते हैं और कोई दूसरी सब्जी सस्ती नहीं हुई तो पूरे महीने एक ही तरह की सब्जी से गुजारा चलाते हैं। पैसे बचाने की पुरजोर कोशिश करते हैं और चड्ढी में 12 छेद हो जाने के बावजूद भी उसे तब तक पहनते हैं जब तक उसके चिथड़े न हो जाएं। तुम ये जो दो दिनों का नुकसान करवाती हो न इसके बदले मकानमालिक हमें टॉफी देकर तो अपने घर से वापस भेजता नहीं बल्कि हम दुखी होकर खुद ये हिसाब लगाते हैं कि अगर दो दिनों का किराया बचा होता तो पनीर बनाकर खा लेते। कोई फल खरीद लेते जो कि ज्यादातर बजट से बाहर ही होता है अपन के। 

फरवरी तुम बहुत जुल्मी भी हो शुरू हुई नहीं कि फर्र से उड़ भी जाती हो और अगले महीने के किराए का टेंशन दे जाती हो। और मैं क्या कहूं तुम्हें, बस यही सब कारण हैं कि मैं तुम्हें पसंद नहीं करती। उम्मीद है तुम मेरी बातों का बुरा नहीं मानोगी। लेकिन जो भी हो I Hate You फरवरी.

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