सोमवार, 9 जून 2014

हार की मार...

पिछले कई दिनों से उत्तर भारत में भीषण गर्मी से त्राहि-त्राहि मची है। आसमान से मानो आग के गोले बरस रहे हैं और लोग अंडे की तरह उबल रहे हैं। इस भीषण गर्मी से जब मनुष्य इतना बेहाल है तो बेजुबान जानवरों का क्या कहा जाए। जहां पूरा देश बिजली की अघोषित कटौती की मार झेल रहा है वहीं बिजली औऱ पानी को लेकर उत्तर प्रदेश की हालत बेहद खराब है। इनमें वाराणसी इस समय अपने सबसे बुरे दिनों को झेल रहा है। प्रदेश सरकार लोगों से हार का बदला निकाल रही है। वाराणसी सीट से भाजपा की जीत के बाद लोगों को उम्मीद थी कि अच्छे दिनों में ये गर्मी बस यूं ही बीत जाएगी। लेकिन देखा जाए तो बिजली-पानी के मामले में सबसे ज्यादा बदतर हालत वाराणसी की ही है।

 इस दुर्दशा के लिए लोग प्रदेश सरकार  को तो कोस ही रहे हैं साथ ही भाजपा को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं जिसने यहां से जीत तो दर्ज कर ली लेकिन इस जीत का बदला कोई औऱ निकाल रहा है। वहां की जनता आस लगाए जरूर बैठी है लेकिन उन्हें यह नहीं पता है कि यहां अच्छे दिन कैसे आएंगे। लोगों को बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं जिससे उन पर इस भीषण गर्मी की दोतरफा मार पड़ रही है। लोग कराह रहे हैं, दम भर रहे हैं और फिर एक दूसरे को वही आसरा दे रहे हैं कि वाराणसी के अच्छे दिन आने ही वाले हैं, लेकिन कब यह किसी को नहीं पता।

पिछले कई सालों से इलाहाबाद उत्तर प्रदेश का सबसे गर्म शहर बन चुका है। इस भीषण गर्मी में अब तक दिल्ली, मथुरा, झारखंड और इलाहाबाद से कई लोगों की जानें भी जा चुकी हैं। कहा जाता है कि कर्क रेखा इलाहाबाद से होकर गुजरती है शायद इसलिए यहां जबरदस्त गर्मी पड़ती है।

बहरहाल इस साल समूचा उत्तर प्रदेश अखिलेश सरकार की कोपभाजन का शिकार बन रहा है। अपने ही घर के मतदाताओं का वोट न पाकर करारी हार का सामना करने वाली सपा इस भीषण गर्मी में लोगों को बिजली-पानी जैसी बुनियादी चीजों की कटौती कर अपनी हार का बदला ले रही है। अगर यह ऐसे ही चलता रहा तो इस भीषण गर्मी में दम तोड़ने वालों की संख्या में इजाफा होने से कोई नहीं रोक सकता।

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