शनिवार, 28 सितंबर 2013

एक मुगलसरायी....


मुगलसराय बस स्टैंड पर एक रोडवेज में बैठी थी। सिर पर सामान लादे एक कूली आया औऱ सामान बस में पटक कर नीचे उतर गया। जिस आदमी का सामान था वह सामने की दुकान पर कुछ खरीद रहा था। कुली वहीं बस के नीचे खड़ा था।
आदमी हाथ में पेप्सी की दो बोतल लिए हुए बस के पास आया। उसका चेहरा एकदम लाल था  उसने कुली को सौ का एक नोट दिया औऱ छुट्टे मांगने लगा। कुली ना जाने क्या बुदबुदाया और नोट लेकर चला गया।
आदमी ने पेप्सी की बोतल खोली और हथेली पर लेकर अपने चेहरे को धुला फिर बोतल सहित ही पेप्सी को चेहरे पर गिराया, जोर से हांफते हुए बोतल फेंका औऱ दूसरी बोतल लेकर बस में बैठ गया। उसने दूसरी बोतल खोली एक ही सांस में आधी पेप्सी गटक डाली औऱ फिर जोर-जोर से रोने लगा।
अगल-बगल बैठे यात्रियों के बिल्कुल भी समझ में नहीं आया कि आदमी पेप्सी पीने के बाद अचानक इतनी जोर से क्यों रोने लगा। सारी यात्रियों ने देखा लेकिन किसी ने न तो कुछ बोला ना ही कुछ पूछा।
बगल की सीट पर दो बूढ़ी औरतें अपनी गठरी लेकर बैठी थी, उनमें से एक ने आदमी को रोते हुए देखकर कहा- बेटा, अब जाने वाले को कौन रोक सकता है.. यह शरीर तो किराए का एक कमरा है जब आदेश आएगा तभी छोड़ना पड़ेगा, यह दुनिया की रीति है, जो  इस संसार में आया है उसको जाना ही पड़ेगा, इसमें दिल छोटा करने की कोई बात नहीं है, अरे तु्म्ही ऐसे हिम्मत हार जाओगे तो घर वालों को संबल कौन देगा।
दूसरी बूढ़ी औऱत बोली-अब हमें ही देख लो, पिछले ही साल मेरे मनसेधु अचानक गुजर गए, जबकि उनको हुआ कुछ नही था। अच्छे से खाना-पीना खाकर रात में सोए तो किसी को क्या पता था कि कभी उठबे नहीं करेंगे, लोग उनकी ऐसी मौत पर खुश हुए लेकिन मेरे दिल पर क्या बीती ये किसी को बताने से समझ में नहीं आने वाली।
तो बेटा यही संसार की रीति है, आज हम जाएंगे तो कल तुम जाओगे । सबको एक ना एक दिन जाना है। मर्द होकर तुम इतना रोओगे तो बाकी लोगों का क्या होगा आंय।
आदमी को  शायद यह गीता प्रवचन बिल्कुल अच्छा नहीं लगा और उसने रोते हुए कहा-बस करो माताओं प्लीज..वो बात नहीं है हमारे घर में कोई मरा-वरा नहीं है।
दोनों बूढ़ी औरते झेंप गयीं और एक साथ बोली-तो फिर क्या बात है?
आदमी बोला-मैं बंबई में रहता हूं। तीन साल बाद कमाकर घर आ रहा था। पिताजी को बोला था कि इस बार घर में तीन पक्के कमरे बनवाकर ही वापस जाऊंगा।
मुगलसराय स्टेशन पर उतरा तो सोचा गांव में एटीएम होता नहीं है यहीं से पैसे निकालता चलूं। कल सीमेंट-बालू मंगवाने का ऑर्डर देना था। एटीएम से पैसे निकालकर जेब में रख लिया था, भीड़ से निकलते वक्त ना जाने कब जेब कट गयी पता ही नहीं चला। मेरी पूरी कमाई चली गयी अब घर वालों को क्या जवाब दूंगा, पिताजी को क्या कहूंगा।
बूढ़ी औऱत बोली- अरे बेटा तुम्हारी जान तो बच गई ना रुपया-पैसा तो आता जाता रहेगा। आजकल के चोर उचक्के ऐसे होते हैं कि जान औऱ माल दोनो लेते है।
आदमी को बूढ़ी औऱतों की बात से बिल्कुल संतोष नहीं हुआ, बोला- कई बार नकद पैसे लेकर आया हूं बिल्कुल अकेले, लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ। जीवन में आज पहली बार ऐसा हुआ कि मेरे जीवन की आधी कमाई चली गयी।
बूढ़ी औरत ने कहा-यह मुगलसराय है, देश भर के लोग यहीं आकर लूटे जाते है..एक बात गांठ बांध लो, सौ चाईं एक मुगलसरायीं।

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