सोमवार, 30 सितंबर 2013

मूड ही तो है....


एक काम के सिलसिले में काफी भागदौड़ औऱ थकान के बाद एक पेड़ की छाया में बैठी थी। थकान से दिल और दिमाग दोनो सुन्न पड़ गया था। तभी घर से मां का फोन आया। फोन उठाते ही उन्होंने किसी बात को लेकर मुझे डांटना शुरु कर दिया। मुझे बहुत बुरा लगा और मैने बीच में ही फोन काट दिया। मूड औऱ ज्यादा खराब हो गया था जिसके चलते शाम को कोई काम नही कर पायी।
 बाद में दीदी को फोन करके कहा कि मां को कह दें कि कभी भी कुछ भी ना बोल दिया करें। इंसान कहां होता है, किस काम में फंसा होता हैं, ना जाने किस मूड में होता है। लेकिन फोन करने वाला किसी भी समय कुछ भी सुना कर खाली हो जाता है, चाहे सुनने वाले का मूड कैसा भी क्यों न हो। दीदी ने कहा-अरे मां की बातों का क्या बुरा मानना उनको तो बस अपनी बात कहनी होती है। उन्हे इस बात का अंदाजा थोड़े ही रहता है कि तुम उस समय कुछ काम कर रही होगी या उनकी बातों का बुरा मान जाओगी।
सिविल सेवा में चयनित एक महिला ने अपने इंटरव्यू में बताया कि उसके जीवन का सबसे कमजोर पहलू उसका मूड है । मूड के चलते कभी-कभी काम समय पर नहीं हो पाता जिससे नकारात्मक भावना मन में आती है।
देखा जाय तो चीजों का अच्छा या बुरा लगना मूड पर ही निर्भर करता है। अच्छे मूड मे कभी-कभी खराब चीजों से भी मन नही उखड़ता तो कभी खराब मूड में अच्छी चीजें भी बुरी लगती है।
हम पर पापा को प्यार कब आता है, मां को गुस्सा कब आता है, भाई को शैतानियां कब सूझती हैं औऱ हमे यह सब कब अच्छा लगता है .यह सब बातें मूड पर निर्भर करती हैं।
  कभी-कभी मूड ना होने पर भी कुछ चीजों को करना पड़ता है, मन ना होने पर भी ना तो ऑफिस छोड़ी जा सकती है ना ही क्लास। आए दिन ऐसा मन होता है कि आज ऑफिस ना जाएं लेकिन बार-बार ऐसा नहीं कर सकते।
हमारी दिनचर्या ही हमारे अच्छे या खराब मूड पर निर्भर होती है। मूड नही किया तो व्यायाम नही किया, ज्यादा सो लिया, सुबह के कुछ काम को शाम के लिए छोड़ दिया। इससे दिन भर कुछ भारी-भारी सा लगता है। अच्छे मूड के लिए जरुरी है ज्यादा से ज्यादा खुश रहना, अपना हुनर दूसरों को सीखाना तथा प्रकृति की चीजों से लगाव होना औऱ अपने जीवन तथा काम से संतुष्ट रहना। फिर चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, मूड कैसा भी हो, बेवक्त कही जाने वाली बातों का भी आप पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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