शनिवार, 17 अगस्त 2013

हमें तो कलियां पसंद हैं.....



स्त्री जितना जल्दी अपना घर बसा ले उतना अच्छा होता है, औऱ पुरुष जितनी देर से शादी करे उसका कॅरियर उतना ही चमकदार होता है। ऐसा समाज कहता है, लोग कहते हैं।

हमारे समाज में लोग जिस प्रकार प्रेम विवाह या अंर्तजातीय विवाह को आसानी से स्वीकार नहीं करते, ठीक उसी प्रकार लड़के की शादी उससे उम्र में बड़ी लड़की से करना उनको नागवार गुजरता है। लड़की, लड़के से  कभी पांच साल छोटी होती है तो कभी दो या तीन साल। लेकिन ठीक इतना ही मतलब दो-तीन साल बड़ी नहीं हो सकती। यह ना तो लड़की के मां-बाप को पसंद होता है कि वह अपनी लड़की से उम्र में छोटा वर ढ़ूढे औऱ ना ही लड़के के मां बाप को कि उनकी बहू लड़के से उम्र में बड़ी हो।

एक मित्र एक दिन लड़कियों को लेकर चिंतित दिखे। पूछने पर बोले आज कल देख रहा हूं कि तीस-बत्तीस साल के नौकरीपेशा अविवाहित लड़के, विश्वविद्यालयों के रिसर्च स्कॅालर छोटी उम्र के लड़कियों को अपनी गर्लफ्रेंड बनाते हैं औऱ उनके साथ घूमते हुए नजर आते हैं, इन लड़कियों की उम्र महज अट्ठारह से बीस साल तक होती है जो इंटरमीडिएट एवं स्नातक प्रथम वर्ष की विद्यार्थी होती हैं। जबकि उनको अपने साथ घूमाने वाले लड़के उम्र एवं तजुर्बे से कहीं ज्यादा बड़े होते है। इन्हे विभिन्न प्रकार की लड़कियों का अच्छा खासा तजुर्बा होता है।

ऐसे ही कुछ अविवाहित लड़कों से जब उनकी पसंद यानि कम उम्र की लड़कियों के प्रति ज्यादा आकर्षण एवं झुकाव के बारे में पूछा गया तो उन्होनें बताया कि हम अपने जीवनसाथी के रुप में भी ऐसी ही लड़कियों को पसंद करते है। जमाना बदल गया है, गया वह दिन जब शादी के लिए लड़के लड़कियों के उम्र में पांच साल का अंतर होता था। आज लड़कियां घर से बाहर निकल कर पढ़ रही हैं, दुनिया देख रही हैं, अपनी मर्जी से जिंदगी जी रही हैं औऱ जल्दी ही मेच्योर हो जा रही हैं। स्नातक प्रथम  की लड़कियां पहली बार कॅालेज में आती हैं, उन्हे हर प्रकार का अनुभव हासिल करने में समय लगता है।और इनके साथ समय व्यतीत करने में मजा आता है। जबकि परास्नातक की लड़कियां काफी अनुभवपरक एवं चालाक होती हैं। किसी बात को लेकर जल्दी बहस कर लेती हैं। इसलिए हमें तो कलियां ही पसंद आती हैं।

वजह साफ है, लड़के पढ़ी लिखी सुंदर लड़की चाहते हैं लेकिन अपने से ज्यादा अव्वल नहीं चाहते। यह ठीक वैसे ही है जैसे किसी जमाने में पति अपने से अच्छे पद पर विराजमान पत्नी से हमेशा क्लेश रखता था। पिता चाहता है बेटी पढ़े लिखे, खूब आगे बढ़। पति भी यही चाहता है लेकिन, लेकिन अपने से आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहता। यह लड़कियों का हश्र है बल्कि इससे भी कहीं ज्यादा है।  

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